ग़म की रात

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गम की रात दोहे काश मिलन होता अभी, जी उठती मृत देह। आयी गम की रात है, बहता अँखियन मेह।। तृषा बढ़ाती यह ऋतु, रोते कोमल नैन। तुम बिन मेरे साजना, ...

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